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D.C. GENERATOR

                                                                 CHAPTER-7
                                                          (D.C. GENERATOR)
1. डी.सी. जेनरेटर जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
2. डी.सी. जेनरेटर में स्पिल्ट रिंग लगी होती है। स्पिल्ट रिंग से सप्लाई ली जाती है।
3.फैराडे के नियमानुसार उत्पन्न होने वाला E.M.F. हमेंशा AC ही होता है।
4. डी.सी. जेनरेटर की रेटिंग KW में आती है।
5. डी.सी. जेनरेटर का योक या बॉडी कास्ट आयरन की बनी होती है।
6.लेमीनेटेड कोर की मोटाई 1mm से 0.2mm तक होती है। यह सिलिकॉन स्टील की बनाई जाती है।
7. डी.सी. जेनरेटर के ब्रुष कार्बन व ग्रेफाइड के बनाये जातें है।
8.ब्रुष होल्डर यह साइड कवर में लगे रोकर पर फिट होतें है। इन स्प्रिंग द्वारा दबाव बनाया जाता है।
9. डी.सी. जेनरेटर में यदि लैप वाइन्डिग है। तो आर्मेचर में समानान्तर पथों की संख्या बराबर होती है।
10. डी.सी. जेनरेटर में यदि वेव वाइन्डिग है।तो समानान्तर पथों की संख्या 2 होती है।
11.लैप वाइडिंग को समानान्तर वाइन्डिग भी कहतें है। यह वाइन्डिग अधिक धारा व कम वोल्टेज के लिए प्रयुक्त की जाती है।
12.वेव वाइन्डिग कों सिरीज वाइन्डिग भी कहतें है। यह वाइन्डिग कम धारा एवं अधिक वोल्टेज के लिए प्रयुक्त की जाती है।
13.डी.सी. सिरीज जेनरेटर का उपयोग सप्लाई पर डिस्ट्रीब्यूषन में ब्रूस्टर के रूप में किया जाता है।
14. डी.सी. शंट जेनरेटर के आर्मेचर में धारा व वोल्टेज के आवष्यक मान के आधार पर लैप वाइन्डिग या वेव वाइडिंग की जाती है।
15. डी.सी. शटं जेनरेटर का उपयोग स्थिर वोल्टेज के लिए किया जाता है।
16.कम्युलेटिव कम्पाउण्ड जेनरेटर में शंट फील्ड फलक्स-सिरीज फील्ड फलक्स का सहयोग करता है। इसमें भार बढने पर वोल्टेज बढती है।
17.डिफ्रेन्षियल कम्पाउण्ड जेनरेटर में शंट फील्ड फलक्स-सिरीज फील्ड फलक्स का असहयोग करता है। इसमें भार बढने पर वोल्टेज घट जाती है।
18.डिफ्रेन्षियल कम्पाउण्ड जेनरेटर का उपयोग आर्क वैल्ंिडग जेनरेटर में किया जाता है।
19.लेवल कम्पाउण्ड जेनरेटर टर्मिनल वोटेज एक जैसी रहती है। व पावर सप्लाई प्रयोग मंे लेतें है।
20.कम्युलेटिव कम्पाउण्ड जेनरेटर का उपयोग जहां भार व जेनरेटर के मध्य दूरी अधिक होती है।
21.फ्लैट कम्पाउण्ड जेनरेटर जहां स्थिर वोल्टेज की आवष्यकता होती है।
22.अन्डर कम्पाउण्ड जेनरेटर का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग के काम में लेते है।
23.जब आर्मेचर चालकों में से कम भार धारा गुजर रही होती है। तो आर्मेचर के चालक द्वारा उत्पन्न मुख्य फील्उ फलक्स के साथ इस प्रकार की प्रतिक्रिया करता है। कि मुख्य फील्ड क्षेत्र अपनी स्थिति बदल देता है। इसे प्रति चुम्बकन प्रभाव कहतें है।
24.GNA-ज्योमेट्रिकल न्यूट्रल एक्सिस या जयामिती उदासीन अक्ष।
25.MNA-मैग्नेटिक न्यूट्रल एक्सिस या चुम्बकीय उदासीन अक्ष।
26.कम्युटेटर पर लैप व वेव वाइन्डिंग की जाती है। सेगमेन्ट पर लगे कार्बन ब्रुषों परजम्प करने वाली धारा चिंगारी के रूप में दिखाई देती है। कम्युटेषन कहलाता है।
27.कम्युटेषन को कम करने के लिए इन्टरपोलउच्च कार्बन वाले प्रतिरोध का प्रयोग किया जाता है।
28.इन्टरपालों को आर्मेचर के श्रेणी क्रम जोडा जाता है। यह इन्टरपोल वाइन्डिग मोटे तार व कम प्रतिरोध की बनायी जाती है।
29.डी.सी. शंट जेनरेटर को समानान्तर क्रम में प्रचालित करने के लिए आवष्यक शर्ते
  1.दोनो जेनरेटर की गति समान होनी चाहिए।
  2.दोनों जेनरेटर की वोल्टेज समान होनी चाहिए।
  3.दोनों जेनरेटर की एम्पियर मीटर में धारा समान होना चाहिए।
30.डी.सी. कम्पाउण्ड जेनरेटर को समानान्तर क्रम में चलाने के इक्वीलाइजर का प्रयोग किया जाता है।
31. इक्वीलाइजर को इन्टपोल तथा सिरीज फील्ड के मध्य जोडना चाहिए।
32. डी.सी. जेनरेटर के चालकों में उत्पन्न E.M.F. AC होता है।
33.कम्युटेटर की मध्य सेगमेन्ट के मध्य माइका भरा जाता है।
34.एडी करेन्ट हानि को कम करने हेतु सिलिकॉन स्टील का लेमीनेटेड कोर का प्रयोग किया जाता है।
35.इन्टरपाले के कनेक्षन आर्मेचर के श्रेणी क्रम जोडे जातें है।
36.शंट जेनरेटर में प्रवाहित होने वाली आर्मेचर धारा का मान लोड धारा$षंट फील्ड धारा के बराबर होता है।
37. डी.सी. जेनरेटर में ताम्र क्षति लोड के साथ परिवर्तित होती है।
38.आर्मेचर रिएक्षन का जेनरेटर पर प्रभावमुख्य चुम्बकीय क्षेत्र कमजोरविद्युत वाहक बल कम उत्पन्नकम्यूटेटर पर होने वाली स्पार्किंग बढ जाती है।
39. डी.सी. जेनरेटर में कम्यूटेटर पर उत्पन्न होने वाली स्पार्किंग कम करने के इन्टरपाले का प्रयोग किया जाता है।
40.स्थिर वोल्टेज बैट्री चार्जिंग हेतु शंट जेनरेटर का प्रयोग किया जाता है।
41.आर्मेचर तथा फील्ड की कोरों में होने वाली वैद्युतिक शक्ति की क्षतिलौह हानि कहलाती है।
42.किसी चालक कमें वि.वा. बल प्रेरित होने के लिए गतिमान चुम्बकीय फलक्स अथवा गतिमान चालक आवष्यक है।
43.फ्लेमिंग के दायं हाथ के नियम से विद्युत वाहक बल की दिषा ज्ञात की जाती है।
44..दिकपरिवर्तक खण्ड कठोर कर्सित ताबंे के बने होते है।
45. डी.सी. जेनरेटर मेंआर्मेचर में उत्पन्न वि.वा. बल तब अधिकतम होगा जब फ्लक्स लीकेज के परिवर्तन की दर अधिकतम हो।
46. डी.सी. जेनरेटर की गति बढाने से प्ररित वोल्टेज बढ जाता है।
47.किसी वैद्युतिक मषीन की घूर्णन गति नापने के लिए टैकोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
48. डी.सी. जेनरेटर में यदि क्षेत्र परिपथ प्रतिरोधक्षेत्र क्रान्तिक प्रतिरोध से अधिक हो तों जनित्र वोल्टता उत्पन्न नहीं करेगा।
49.आर्मेचर में मेन फ्लक्स वितरण के विकृत होने का मुख्य कारण आर्मेचर चालक में धारा है।
50.बढे हुए भार के कारण डी.सी. जेनरेटर की टर्मिनल वोल्टता क्षेत्र परिपथ प्रतिरोध को घटाकर सुधारा जा सकता है।
51. डी.सी. जेनरेटर में लोड करन्ट का मान यदि बढ जाता है। तो ब्रषु का वोल्टेज ड्रॉप भी बढ जाएगा।
52. डी.सी. शंट जेनरेटर मंे पर्याप्त विद्युत वाहक बल पैदा करने के लिए क्रिटीकल प्रतिरोध का मान कम होना चाहिए।
53.उच्चतम दक्षता प्राप्त करने के लिए डी.सी. जेनरेटर में ब्रषों को चुम्बकीय उदासीन अक्ष पर रखना चाहिए।
54. डी.सी. जेनरेटर की दक्षता 85-95 % तक होती है।
55. डी.सी. जेनरेटर में घूर्णन दिषा परिवर्तित करने पर धारा प्रवाह की दिषा परिवर्तित हो जाएगी।
56.कार्बन ब्रु्रष घिस जाने के कारण बु्रष बदलने के लिए मूल लम्बाई का 2/3 होना चाहिए।

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